A Review Of bhairav kavach

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महाकालोऽवतु क्षेत्रं श्रियं मे सर्वतो गिरा



तन्मे वद दयाऽऽधार साधकाभीष्टसिद्धये ।



साधक कुबेर के जीवन की तरह जीता है और हर जगह विजयी होता है। साधक चिंताओं, दुर्घटनाओं और बीमारियों से मुक्त जीवन जीता है।

॥ इति श्रीरुद्रयामलोक्तं श्रीबटुकभैरवब्रह्मकवचं सम्पूर्णम् ॥

ॐ ह्रीं अन्नपूर्णा सदा पातु चांसौ रक्षतु चण्डिका ।

 

भीषणास्यो ममास्यं च शक्तिहस्तो गलं मम



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रणेषु चातिघोरेषु महामृत्यु भयेषु च।।

more info कुरुद्वयं महेशानि मोहने परिकीर्तितम् ॥ ८॥

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